Kinaare (किनारे)
April 6, 2011 Leave a comment
एक ख्वाब हो तुम ….
और मेरा डर
कि अधूरा न रह जाऊं
वक़्त के साए में…
ठहरी हुई
ये कागज़ कि नाव
किनारे से लग कर
लहरों से लड़ कर,
थक कर
फिर तुम्हारी साँसों से
ज़िन्दगी जीने का सबब पूछेगी…
और फिर
तुम मेरा हाथ थाम लेना …
मेरे डर को किनारों की जरूरत है…
इस कागज़ की नाव को
बह जाने दो..
कुछ किनारे समंदर के बीच होते हैं….