झील में डूबा चाँद
February 11, 2011 2 Comments
गई रात हमने चाँद को
झील में डुबो के रखा…
नर्म हो गया,
सिला सिला भी…
जैसे चाय की प्याली में
अरारोट बिस्किट का टुकड़ा
डूब गया हो…
चाँद निगल कर रात गुजारी,
जिगर के छाले और पक गए…
दर्द दबाया,
सूखे कपड़ो से किनारियाँ दबा कर
फुलकों की तरह फूले अरमानों का
तकिया बनाया…
रात बहोत महीन थी…
रात के मांझे से कट कर
चाँद झील में डूब गया था…