आज और कल के बीच कहीं Happy New Year
January 1, 2015 1 Comment
तुम कहते हो की गुज़र गया
पर मैंने थोड़ा बाँध लिया
एक पोटली में
गुड़ और रोटी के बीच कहीं
मैंने कुछ सपने बोये थे
इक ऐसी ही तारीख गयी थी
तब भी गुज़रा था ऐसा ही कुछ
तब भी कुछ और समेटा था
अब देखूंगा कल सुब्हा फिर
क्या कोई फूल खिला है वहां
आज नहीं तो कल होगा
या आज और कल के बीच कहीं
हर साल मुबारक हो तुमको
इस साल और उस के बीच कहीं |
नव वर्ष की शुभकामनाएं.
My warm wishes for a very happy new year and a and prosperous 2015